लेखनी कविता - उनको प्रणाम - नागार्जुन

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उनको प्रणाम / नागार्जुन  हज़ार-हज़ार बाहों वाली » जो नहीं हो सके पूर्ण–काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम । कुछ कंठित औ' कुछ लक्ष्य–भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए; रण की समाप्ति ...

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